पाकुड़। भले ही आज हमारा विज्ञान व पढ़े लिखे प्रगतिशील लोग इसे अंधविश्वास कहें।लेकिन श्रद्धालुओं द्वारा सबकी खुशहाली की कामना से नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलना आस्था व विश्वास की जीती जागती मिसाल ही कही जा सकती है। ऐसा ही नजारा दिखा गुरुवार को मकर संक्रांति के मौके पर हिरणपुर में बहने वाली परगला नदी के किनारे, जहां सफा होड़ समुदाय के गुरू बाबा देवी लाल हांसदा दस फीट लंबे व तीन फीट चौड़े गढ्ढे में दहकते अंगारों पर नंगे पांव कई बार इस पार से उस पार तक चले।मौके पर उनके अनुयायियों के अलावा सैकड़ों लोग मौजूद थे। लोगों ने उस वक्त दांतों तले अंगुली दबा ली जब उन्होंने देखा कि उनके पांव में फफोले तो दूर कोई खरोंच तक नहीं आई है।
मौके पर बाबा देवी लाल हांसदा ने बताया कि यह एक साधना है, जो सच्चे हृदय से समाज व देश के कल्याण की भावना से की जाती है। उन्होंने बताया कि हम ऐसा कर अपने इष्टदेव भगवान राम-सीता,भगवान शिव-पार्वती व सूर्य भगवान से संपूर्ण समाज व देश के कल्याण की कामना करते हैं।ताकि सबों को उनकी कृपा से सुख,शांति व समृद्धि प्राप्त हो और आपस में एका बना रहे।
उल्लेखनीय है कि उनके अलावा बुधवार की रात से ही नदी किनारे डेरा जमाए ऐसे पचास से भी ज्यादा गुरू बाबाओं द्वारा नंगे पाँव दहकते अंगारों पर चलने की प्रक्रिया पूरी की गई, जिसके गवाह हर वर्ष बनते रहे हैं मौके पर मौजूद सैकड़ों लोग।मकर संक्रांति के मौके पर मंदिर सह मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष कैलाश प्रसाद सिंह व सहयोगियों ने दो सौ से भी ज्यादा सफा होड़ गुरू बाबा व मां के बीच नए वस्त्रों व कंबलों का वितरण किया गया।
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