Dehradun। राज्य आंदोलन के दौरान हुए चर्चित रामपुर तिराहा कांड में पीएसी के सेवानिवृत दो सिपाहियों को सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। फैसले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों और उनके परिवारजनों को अदालत के निर्णय से बड़ी राहत मिली है।
चर्चित रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में अदालत ने छेड़छाड़ के आरोपित पीएसी के दो सिपाहियों मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर दोष सिद्ध हुआ था।दोनों पर 15 मार्च को दोष सिद्ध हो चुका था। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया।
मामले में सीबीआई की तरफ से विवेचना पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी। कुल छह मुकदमें चले जिनमें से दो समाप्त हो चुके हैं और चार मुकदमे विचाराधीन थे। पीएसी के सेवानिवृत सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर महिलाओं से छेड़छाड़ की धाराओं में केस दर्ज था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फैसले पर कहा कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 2 अक्टूबर 1994 को आंदोलन के दौरान हमारे नौजवानों, माताओं-बहनों के साथ क्रूरतापूर्ण बर्ताव किया गया, जिसमें कई आंदोलनकारियों की शहादत हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है।
रामपुर तिराहा कांड में अदालत ने दोनों सेवानिवृत सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अब इस प्रकरण से संबंधित दो मुकदमे सरकार बनाम एसपी मिश्रा और सरकार बनाम बृजकिशोर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में और तीसरा मुकदमा सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी एडीजे- 7 के न्यायालय में विचाराधीन है। कुल छह मुकदमे मुजफ्फरनगर के न्यायालय में चले थे, जिनमें से दो मुकदमों की फाइल बंद हो चुकी हैं। अब कुल तीन मुकदमे विचाराधीन हैं।