रांची। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के कौलेश्वरी जोन के सब-जोनल कमांडर दस लाख के इनामी अमरजीत यादव जमीन विवाद को लेकर नक्सली बना था। उसके रिश्तेदार (गोतिया) ने उसकी जमीन हड़पने की फिराक में थे।
नक्सली ने सोमवार को सरेंडर करने के बाद हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि भाकपा माओवादी संगठन के कमांडर प्रताप दास के जरिये वह संगठन में 2006 में शामिल हुआ। संगठन में शामिल होते ही रिश्तेदारों ने उसकी जमीन वापस लौटा दी। बिहार के गया जिले के बाराचट्टी के रहने वाले अमरजीत यादव के संगठन में सक्रिय रूप से काम करने और ग्रामीणों को संगठन में जोड़ने से संगठन मजबूत हो गया। इसके कार्य को देखते हुए 2006 में ही उसे एरिया कमांडर की जिम्मेवारी दी गयी। वर्ष 2008 में उसे सब-जोनल तथा 2021 में अमरजीत को कौलेश्वरी जोन का जोनल कमांडर और सचिव बनाया गया।
इसी तरह सरेंडर करने वाला सब-जोनल कमांडर सहदेव यादव चतरा के राजपुर का रहने वाला है। वह भी जमीन विवाद को लेकर संगठन में शामिल हुआ। संगठन में शामिल होते ही उसके रिश्तेदार उसका जमीन वापस लौटा दिये। सहदेव भी वर्ष 2006 में ही संगठन से जुड़ा था। सरेंडर करने वाला सब-जोनल कमांडर नीरु यादव बिहार के गया जिले के बाराचट्टी का रहने वाला था। वह भी जमीन विवाद की वजह से वर्ष 2004 में संगठन में शामिल हुआ।
सरेंडर करने वाला पांचवें नक्सली दस्ता सदस्य अशोक बैगा चतरा जिले के कुंदा थाना क्षेत्र का रहने वाला है। वह भी जमीन विवाद को लेकर 2023 में भाकपा माओवादी संगठन से जुडा। सरेंडर करने वाले सब-जोनल कमांडर संतोष भुईंया चतरा जिले के प्रतापपुर का रहने वाला है। वह भाकपा माओवादी के रीजनल कमेटी सदस्य इंदल गंझू के बहकावे में आकर संगठन से 2017 में शामिल हुआ।