मेरठ। सर्दियां शुरू होते ही लोगों के बीमार होने का सिलसिला शुरू हो गया है। सर्दियों में लोगों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। इसके साथ ही अस्थमा, सांस और साइनस के मरीजों की भी परेशानी बढ़ गई है।
इस समय कड़ाके की सर्दी पड़ने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्दी के कारण जुकाम, बुखार के साथ ही अन्य रोगों से ग्रस्त लोगों की समस्याएं भी बढ़ गई है। खासकर ह्दय रोगी, अस्थमा, सांस, साइनस के रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बुजुर्ग सर्दी लगने से जल्दी बीमारी हो रहे हैं। बुजुर्गों के साथ ही जवानों में भी जोड़ों का दर्द बढ़ रहा है। ठंड में खून जमने से हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। गले में इंफेक्शन, शरीर में दर्द आदि से भी लोग ग्रसित हो रहे हैं।
सर्वोदय नर्सिंग होम के संचालक डॉ. नगेंद्र देव का कहना है कि ठंड में अस्थमा और साइनस की समस्या बढ़ जाती है। ठंड लगने पर शरीर का तापमान तेजी से गिरने लगता है। शरीर में संचित ऊर्जा नष्ट होने लगती है। इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है। यह सीधा मष्तिष्क पर असर डालता है। थोड़ी सी भी दिक्कत होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। सर्दियों में अस्थमा और साइनस के मरीज कैफीन वाले पेय पदार्थों से दूर रहें। उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
ठंड में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगते हैं। समय से इलाज ना मिलने पर मरीजों की जान जा सकती है। समय पर इलाज मिलने पर मरीजों की जान बचाई जा सकती है। मेरठ के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. विकुल त्यागी का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर पहला घंटा ही गोल्डन पीरियड माना जाता है। इसमें तापमान का सीधा असर शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। तापमान गिरने पर शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। नसों में सिकुड़न हो जाती है। इससे मस्तिश्क में रक्त प्रवाह धीमा पड़ने लगता है। ऐसे में तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार का होता है। पहले सिस्मिक स्ट्रोक में दिमाग की नसों में रक्त प्रवाह किसी अवरोध के कारण रुक जाता है। दिमाग की नली में खून का थक्का जम जाने से भी ब्रेन हेमरेज हो जाता है। दूसरे हेमरेजिक स्ट्रोक में दिमाग की नस से रक्त स्राव होने लगता है। इसमें मरीज को लकवा मार जाता है। दोनों ही स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता पहुंचानी चाहिए।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
-शरीर के एक हिस्से, चेहरे, हाथ, पैर में सुन्नपन होना।
-कमजोरी महसूस होना, भ्रम की स्थिति में होना।
-बोलने या समझने में मुश्किल, अस्पष्ट बोलना।
-एक या दोनों आंखों से साफ न दिखना।
-सिर में तेज दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना।
यह उपाय अपनाएं
-शराब, सिगरेट का सेवन न करें, तनाव से दूर रहें।
-नियमित व्यायाम व प्राणायाम करें।
-वजन नियंत्रित करें।
-सिर दर्द वाले मरीज सिटी स्कैन व एमआरआई कराएं।