रांची। दुर्गा पूजा खत्म होते ही गुलाबी ठंड का अहसास होने लगा है। शाम ढलने के बाद ठंडी हवाएं सिहरन का अहसास करा रही हैं। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार एक हफ्ते के बाद अधिकतम और न्यूनतम तापमान में और गिरावट दर्ज की जाएगी।
हर साल दीपावली से पहले ठंड का अहसास होने लगता है। इस साल 4 नवंबर को दीपावली है। शरीर को छूकर गुजरने वाली हवा सुबह शाम ठंड का एहसास कराने लगी है। हालांकि रांची में आसमान पूरी तरह साफ है। मौसम विभाग के अनुसार अब सुबह और शाम के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जाएगी। इससे सुबह-शाम की ठंड बढ़ेगी। अगले तीन दिनों में शहर के न्यूनतम तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट के आसार हैं। इसके साथ ही रात में ओस और सुबह हल्का कोहरा और धुंध देखने को मिल सकता है।
झारखंड में आमतौर पर नवंबर से फरवरी तक ठंड रहती है। इनमें दिसंबर और जनवरी में ठंड का असर अधिक रहता है। पर्यावरणविद् डॉ. नितिश प्रियदर्शी ने बताया कि शहर में गुलाबी ठंड का असर दिख रहा है। इसमें दिन में तो गर्मी महसूस होती है, पर शाम होते ही ठंड का असर दिखने लगता है।
वहीं राज्य में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान गढ़वा में 34.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस चाईबासा में रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में एक अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच अपेक्षित बारिश 61.4 मिमी है, जबकि इस अवधि में 109.1 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। इस दौरान राज्य में सबसे ज्यादा बारिश पश्चिमी सिंहभूम में 242 प्रतिशत ज्यादा दर्ज की गई। वहीं देवघर में 211 प्रतिशत, गिरिडीह में 131 प्रतिशत, कोडरमा में 124 प्रतिशत, रामगढ़ में 133 प्रतिशत, बोकारो में 112 प्रतिशत और धनबाद में 105 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
वहीं पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में कई स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश दर्ज की गयी। जबकि एक से दो स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गयी। राज्य में सबसे ज्यादा बारिश दुमका के खुशीयारी में 130.2मिमी बारिश रिकार्ड किया गया। जबकि साहेबगंज में 118 मिमी बारिश रिकार्ड किया गया।
रिम्स के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ हेमंत नारायण राय ने बताया कि ठंड की शुरुआत होते ही लंग्स की बीमारियां प्रकट हो जाती हैं, वहीं हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में हार्ट के मरीज धूप निकलने के बाद ही घूमने के लिए जाएं। ब्लड प्रेशर के मरीज अपनी दवाओं की डोज डॉक्टर से मिलकर एडजस्ट करा लें। ठंड में अस्थमा और सीओपीडी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सेहत का ध्यान रखें।