पटना। पटना उच्च न्यायालय ने बिहार पुलिस में 19,858 सिपाहियों के बड़े पैमाने पर किए गए स्थानांतरण पर शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने इन ट्रांसफर पर लगी अंतरिम रोक को हटा दिया है। यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसमें कार्यवाहक चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की अगुवाई वाली खंडपीठ ने हस्तक्षेप किया। हालांकि, जिन सिपाहियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, उनके ट्रांसफर पर फिलहाल रोक जारी रहेगी।

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इस मामले में खंडपीठ ने हस्तक्षेप करते हुए आदेश में आंशिक संशोधन किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं के तबादलों पर अंतरिम रोक तब तक बनी रहेगी जब तक अंतिम सुनवाई नहीं हो जाती, लेकिन अन्य सभी सिपाहियों के स्थानांतरण वैध रूप से लागू माने जाएंगे।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि 2022 तक एक ट्रांसफर पॉलिसी प्रभावी थी, लेकिन उसे रद्द कर दिया गया। अब नई नीति के बिना एक साथ इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसफर करना न केवल प्रशासनिक असंतुलन पैदा करता है, बल्कि यह सर्विस रूल्स और प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है।
राज्य सरकार अब बाकी सिपाहियों का ट्रांसफर प्रभावी तरीके से लागू कर सकती है। वहीं, जिन सिपाहियों ने याचिका दायर की है, उनके मामले पर अंतिम सुनवाई के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि लंबे समय से अटके ट्रांसफर आदेशों को लागू करने की राह अब साफ हो गई है। स्थानांतरण की सूची में पटना के अलावे नालंदा, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, भोजपुर, वैशाली, बक्सर और चंपारण समेत अन्य जिले भी शामिल हैं । आदेश में अंगरक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त ऐसे सिपाहियों का तबादला प्रतिनियक्ति अवधि तक स्थगित रहेगा। प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद वे संबंधित जिले से कार्यमुक्त हो जाएंगे ।
गौरतलब है कि बीती 05 मई 2025 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य भर के 19,858 सिपाहियों का तबादला एक जिले से दूसरे जिले में कर दिया था। इसे लेकर राज्य में काफी हलचल मच गई थी। इस फैसले को अमिताभ बच्चन समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि बिहार में 2022 के बाद कोई नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं की गई, फिर भी इतने बड़े पैमाने पर स्थानांतरण कर दिए गए, जो नियमों के खिलाफ है।
मामले की सुनवाई जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की एकलपीठ ने की थी, जिन्होंने प्रारंभिक सुनवाई के बाद ट्रांसफर पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद 22 मई को कोर्ट ने सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई टाल दी गई थी।


