नई दिल्ली : अयोध्या के राम मंदिर (Ram Mandir) के गर्भगृह में स्थापित की गई रामलला की मूर्ति (Ram Lalla Idol) के सामने आने के बाद करोड़ों श्रद्धालुओं ने उसका दर्शन किया। रामलला की मूर्ति के जिस काले पत्थर यानी कृष्णशिला का उपयोग किया गया, उसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। इसे तैयार करने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज (Arun Yogi raj) की पत्नी विजेता योगीराज ने कहा कि रामलला की मूर्ति बनाने के लिए इस पत्थर का उपयोग करने की एक खास वजह है। कृष्ण शिला में ऐसे गुण हैं कि जब आप अभिषेक करते हैं, यानी जब आप दूध प्रतिमा पर चढ़ाते हैं, तो आप उसका उपभोग कर सकते हैं। यह आपके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
इस पत्थर से दूध के गुणों में कोई बदलाव नहीं होता है। इस कारण से इस पत्थर का चयन किया गया है। क्योंकि यह किसी भी एसिड या आग या पानी से कोई रिएक्शन नहीं करता है। यह आने वाले हजार साल से भी अधिक वक्त तक कायम रहने वाला है। विजेता योगीराज ने कहा कि भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापना के लिए रामलला की मूर्ति को बनाते समय अरुण योगीराज ने एक ऋषि के समान जीवन शैली अपनाई।
विजेता योगीराज ने बताया कि मूर्ति तैयार करने के पूरे समय के दौरान अरुण योगीराज ने ‘सात्विक भोजन’, फल और अंकुरित अनाज जैसे सीमित आहार के साथ छह महीने का समय बिताया। अरुण की बनाई गई रामलला की मूर्ति को अयोध्या राम मंदिर के ‘गर्भ गृह’ में स्थापना के लिए चुने जाने पर खुशी जाहिर करते हुए विजेता ने कहा कि “हमने इसके बारे में कभी नहीं सोचा था। लेकिन अरुण में बहुत प्रतिभा है। उनकी कला को दुनिया भर में पहचान और सराहना मिलनी चाहिए।
विजेता के मुताबिक अरुण योगीराज पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं, जिन्होंने 11 साल की उम्र में नक्काशी शुरू की थी और तब से वह अपने परिवार की समृद्ध परंपरा का प्रतीक बन गए हैं। विजेता ने खुलासा किया कि पूरे देश के लोगों से मिले जबरदस्त प्यार और आशीर्वाद के लिए आभार जताते हुए परिवार ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद अयोध्या जाने की योजना बनाई है।