रांची। रिम्स रांची के कार्डियोथोरेसिक विभाग में गत बुधवार को पलामू निवासी एक 35 वर्षीय महिला का डॉ. राकेश चौधरी ने सफल ओपन हर्ट सर्जरी किया।
डॉ चौधरी ने बताया कि महिला के दिल में जन्म से छेद था, जिसे मेडिकल भाषा में एट्रियोवेंट्रीकुलर सेप्टल दोष (एवीएसडी) कहा जाता है। ऐसी बीमारी में दिल में दो तरह के छेद होते हैं एक एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट और दूसरा वेंट्रिक्युलर सेप्टल डिफेक्ट इसके साथ ही माइट्रल और ट्राइकसपिड वाल्व की बनावट में भी खराबी होती है। ऐसे बीमारी का इलाज बचपन में ही हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक वह इलाज नहीं करा पाई थी।
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डॉ चौधरी ने बताया कि महिला पिछले कुछ सालों से सांस फूलने, शरीर में सूजन और धड़कन तेज होने की बीमारी से ग्रसित थी। उनकी इकोकार्डियोग्राफी व कार्डियक सीटी की गई, जिसमें हमें बीमारी का पता चला। एवीएसडी एक गंभीर और जानलेवा दिल की बीमारी है। ऐसी बीमारी में फेफड़े का प्रेशर बढ़ जाता है और रोगी की जान को बचाना मुश्किल होता है। इस रोगी के दिल में दो छेद जिसे कॉमन एट्रियम और वीएसडी बोलते हैं और फेफड़े की नस का प्रेशर भी काफी बढ़ गया था। दिल का आकार समान्य की तुलना में दो गुना बढ़ गया था। दिल के चारों ओर पानी भर गया था। पहले उन्हें दवाओं से स्थिर करने की कोशिश की गई, लेकिन दवा से सुधार नहीं होने पर शीघ्र ऑपरेशन किया गया। आयुष्मान योजना के तहत रिम्स की अमृत फार्मेसी से ओपन हार्ट सर्जरी के लिए आवश्यक सामग्री मिली। और सफलतापूर्वक ओपन हार्ट सर्जरी करके मरीज के माइट्रल और ट्राइकसपिड वाल्व का रिपेयर करके ठीक कर दिया। दिल के दोनों छेदों को बंद कर दिया गया। वह ऑपरेशन के बाद अच्छी स्थिति में है और लक्षणों में सुधार है।
डॉ चौधरी ने बताया कि रिम्स में इस तरह का सफल ऑपरेशन पहली बार किया गया। उन्होंने कहा कि मरीज को कार्डियोथोरासिक इंटेंसिव केयर यूनिट से रिकवरी वार्ड में शिफ्ट किया गया। यह सर्जरी आयुष्मान योजना के तहत पूरी तरह नि:शुल्क की गई, जिसके लिए मरीज और उनके परिवार के सदस्य कार्डियोथोरेसिक विभाग के डॉक्टरों और स्टाफ के प्रति अत्यंत आभारी हैं।
गौरतलब है कि कार्डिएक सर्जरी टीम का नेतृत्व डॉ. राकेश चौधरी ने किया, जिनके साथ ओटी असिस्टेंट राजेंद्र,खुशबू ,सरोज और अभिषेक थे। कार्डिएक एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व प्रोफेसर शिव प्रिये, डॉ. मुकेश कुमार और सर्जरी रेजिडेंट डॉ पूर्वा, डॉ रवीना, डॉ पशुपति व डॉ प्रिया ने किया।कार्डियोथोरेसिक आईसीयू में इंचार्ज सिस्टर सुनीता, प्रिसिला, रीना पर्फ़्यूज़निस्ट अमित, फ्लोर स्टाफ प्रीति व सूरज ने भी मरीज की त्वरित देखभाल में योगदान दिया।