भुवनेश्वर। ओडिशा के पुरी में मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में रथयात्रा का आयोजन हो रहा है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा रथों पर आरूढ़ होकर मौसी मां मंदिर जाएंगे। रथयात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
आज सुबह मंगला आरती के बाद पहंडी नीति शुरू हुई। इसके बाद धाडी पहंडी नीति शुरू हुई और चारों विग्रहों को तीन रथों पर आरूढ़ कराया गया। सबसे पहले सुदर्शन महाप्रभु सुबह 09 बजे दर्पदलन रथ पर आरूढ़ हुए। इसके बाद 10.18 पर बलभद्र तालध्वज रथ पर, 10.30 पर देवी सुभद्रा भी दर्पदलन रथ पर रथारूढ हुईं। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्नवेदी से सिंहद्वार पार कर 11.55 पर नंदिघोष रथ पर विराजमान हुए। दोपहर 12.05 बजे पहंडी नीति संपन्न हुई। इसके बाद शेष प्रक्रिया का संपादन किया गया।
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तीनों रथों की परिक्रमा की। इसके बाद पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव ने छेरा पहंरा की नीति का संपादन शुरू किया। यह प्रक्रिया संपन्न होने के बाद रथों को खींचने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
पहंडी नीति के दौरान श्रद्धालु एवं कलाकारों के ओडिशी नृत्य, शिव तांडव और हनुमान नृत्य से माहौल आध्य़ात्मिक हो गया। इससे पहले सुबह से मंगला आरती मइलम, तडपलागी, रोष, होम, अवकाश एवं सूर्यपूजा की रीति-नीति संपन्न हुई। इसके बाद द्वारपाल पूजा किया गया तथा खिचड़ी का भोग लगाया गया। सुबह 7.35 बजे ब्राह्मणों ने तीनों रथों की प्रतिष्ठा एवं पूजा की। मंगला आरती के बाद पहंडी नीति शुरू हुई। ज्वर से स्वस्थ होने के बाद भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ रत्नवेदी से जन्मवेदी की ओर 9 दिनों की यात्रा भगवान जगन्नाथ करते हैं।
लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर पुरी शहर एवं उसके आसपास के इलाकों में 170 प्लाटून पुलिस बल तैनात किया गया है। रथयात्रा के दौरान भीषण गर्मी एवं उमस के कारण दोपहर 1.30 बजे तक सौ से अधिक श्रद्धालु बेहोश हो गए। उन्हें तत्काल चिकित्सा शिविर में भर्ती कराया गया।
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