Jodhpur: राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने आज नर्सिंग स्कूलों, कॉलेजों में आवश्यक निरीक्षण और अभ्यर्थियों के प्रवेश को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। जिसमें इनको निश्चित सीट पर प्रवेश मान्यता/ एनओसी के अनुसार ही देना होगा।
कोर्ट के अंतरिम आदेश से बीएससी (नर्सिंग) कोर्स सत्र 2020-21 में प्रवेशरत निर्दोष अभ्यर्थियों के प्रवेश को नियमित करने का निर्णय देते हुए, भविष्य में आगामी सत्र से याची नर्सिंग संस्थानों में छात्रों का एडमिशन, भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल के प्रावधानों एवं निहित निरीक्षण शक्ति को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा जारी की जाने वाली निश्चित सीट की मान्यता/ एनओसी के अनुसार ही होगा। भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल, नई दिल्ली की ओर से स्थायी अधिवक्ता यशपाल खि़लेर ने पैरवी की। राजस्थान हाइकोर्ट, जोधपुर के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने यह निर्णय दिया।
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यह है मामला :
हनुमानगढ़ स्थित बंसल स्कूल ऑफ नर्सिंग एंड कॉलेज ऑफ नर्सिंग सहित कुल 10 नर्सिंग संस्थानों द्वारा रिट याचिकाएं पेश कर राज्य सरकार द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र आदेशों के अनुरूप स्वीकृत सीटों पर छात्रों के प्रवेश चाहने हेतू प्रार्थना की गई। चूंकि भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल ने निरीक्षण कर याचीगण नर्सिंग संस्थानों को राज्य सरकार की एनओसी के अनुरूप स्वीकृत 50 सीटों पर प्रवेश के लिए अनुपयुक्त पाया था। याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश से एनओसी के अनुरूप सीटों पर छात्रों के प्रवेश के लिए आदेश जारी कर दिया।
मामले में विस्तृत जवाब पेश करते हुए भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल, नई दिल्ली की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने न्यायालय को बताया कि भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल को किसी भी नर्सिंग संस्थान का निरीक्षण करने और जांच पड़ताल करने का पूरा वैधानिक अधिकार है, जैसा बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य सेंट्रल वैधानिक संस्थाओं को है, क्योंकि नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्य नियामक संस्था भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल है जो समग्र भारत मे नर्सिंग पाठ्यक्रमों को अधिनियमित करने हेतू नियम, अधिनियम और विनियम बनाने हेतू प्राधिकृत सांविधिक निकाय है जो भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन हैं।। साथ ही निरीक्षण करने का औचित्य भी यही होता है कि संबंधित नर्सिंग संस्थान में अपेक्षित सीटो हेतू पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं या नहीं। जिस कारण ही उपयुक्तता मूल्यांकन के लिए निरीक्षण किया जाता है।
निरीक्षण में भी यहीं मूल्यांकन किया जाता हूं कि भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल के विनियम 2020 के अनुरूप संबंधित नर्सिंग संस्थान में आवंटित सीट के अनुरूप शिक्षण प्राध्यापक, आधारभूत संरचना और सुविधाएं, चिकित्सकीय सुविधाएं इत्यादि की उपलब्धता कितनी है? तदनुसार ही नर्सिंग संस्थान की इन्टेक क्षमता/सीटों का निर्धारण किया जाता है।।
अधिवक्ता खि़लेरी ने बताया कि भारतीय नर्सिंग कॉउन्सिल की गाइडलाइन और विनियमो के अनुरूप ही नर्सिंग संस्थान में उपलब्ध संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार ही विशिष्ठ सीटों के लिए राज्य सरकार द्वारा मान्यता/ एनओसी दी जाती हैं। मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता वंदना भंसाली ने पैरवी की।